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�� खुशी के साथ-साथ केंद्रीय कर्मचारियों को ये बड़ा झटका भी देगा सातवां वेतन आयोग

सातवां वेतन आयोग केंद्रीय सेवाओं से जुड़े लोगों को सिर्फ खुशी ही नहीं झटका भी देगा। अगर जस्टिस अशोक कुमार की अध्यक्षता वाले आयोग की सभी सिफारिशें मान ली गईं तो केंद्रीय कर्मियों को न सिर्फ अपना प्रदर्शन सुधारना होगा, बल्कि आवासीय किराया भत्ता (एचआरए) के रूप में पहले से अधिक रकम चुकानी होगी।

औसत और खराब प्रदर्शन करने वालों को वेतन वृद्धि के लाभ से वंचित रहना होगा। कर्मचारियों के लिए नया वेतन ढांचा तय किया जाएगा, जिसमें उसकी स्थिति ग्रेड-पे के जरिए नहीं बल्कि पे-मेट्रिक्स के जरिए तय होगी। इसके अलावा कर्मचारियों को अलग-अलग तरह के 52 भत्तों से भी हाथ धोना पड़ सकता है।

गौरतलब है कि बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट पर सहमति की मुहर लगने के आसार हैं। माना जा रहा है कि सरकार आयोग की रिपोर्ट को जुलाई महीने से लागू करेगी और केंद्रीय कर्मियों और पेंशनभोगियों को जनवरी 2016 से एरियर दिया जाएगा।

सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद कर्मियों को महंगाई भत्ते में बढ़ोत्तरी के अनुरूप एचआरए का भुगतान करना पड़ सकता है। आयोग ने इसके तहत एक्स, वाई और जेड श्रेणी के शहरों के लिए एचआरए मूल वेतन का 24, 16 और 08 फीसदी करने का सुझाव दिया है। महंगाई भत्ता 50 फीसदी से अधिक होने पर एचआरए की दर को 27, 18 और 09 फीसदी और महंगाई भत्ता के सौ फीसदी के पार होने की स्थिति में एचआरए दर को 30, 20 और 10 फीसदी करने की सिफारिश की गई है।

हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि सिफारिशों को लागू किए जाने के बाद कर्मियों के वेतन में कितनी बढ़ोत्तरी होगी और सरकार आयोग की किन किन सिफारिशों को स्वीकार करेगी।

परिणाम न देने पर नहीं मिलेगा वेतन वृद्धि का लाभ

आयोग ने कई ऐसी सिफारिशें की हैं, जिससे कर्मियों को न सिर्फ पहले से ज्यादा जिम्मेदार होना होगा, बल्कि कई तरह की सुविधाओं से भी वंचित होना होगा। आयोग की सबसे खास सिफारिश कर्मचारियों को ज्यादा जिम्मेदार बनाने की है।

इसमें कर्मियों के कामकाज को अब अच्छा और बहुत अच्छा श्रेणी में आंकने के साथ शर्तों के अनुरूप परिणाम न देने और 20 साल की सेवा में पदोन्नति योग्य न पाए जाने वाले कर्मियों को सालाना तीन फीसदी के वेतन वृद्धि के लाभ से वंचित करने की सिफारिश की गई है।

सिफारिश से अधिक बढ़ सकता है मूल वेतन
सरकार बुधवार को मूल वेतन में 15 फीसदी की बढ़ोतरी की सिफारिश से अधिक की वृद्धि को मंजूरी दे सकती है। आयोग ने मूल वेतन में 14.27 फीसदी की वृद्धि की सिफारिश की है जो पिछले 70 साल में सबसे कम है। भत्तों में वृद्धि की सिफारिशों को जोड़ने के बाद कुल वृद्धि 23.55 फीसदी बैठती है।

छठे वेतन आयोग ने 2008 में मूल वेतन में 20 फीसदी की वृद्धि की सिफारिश की थी, जिसे लागू करते समय सरकार ने दोगुना कर दिया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खजाने पर दबाव को देखते हुए सरकार 15 फीसदी की सिफारिश की जगह मूल वेतन में 18 से 20 फीसदी तक की ही वृद्धि पर विचार कर सकती है। 

भत्तों में होगी सबसे अधिक वृद्धि

आयोग ने वेतन में 16 फीसदी, भत्तों में 63 फीसदी और पेंशन में 24 फीसदी की वृद्धि करने का सुझाव दिया है। उसने 52 तरह के भत्तों को खत्म कर अन्य 36 भत्तों को किसी मौजूदा या नए भत्ते में जोड़ दिया है।

सरकारी आवास में रहने वालों को होगा नुकसान
आयोग ने मूल वेतन बढ़ाने के साथ एचआरए में बदलाव का सुझाव दिया है। इसके तहत एक्स, वाई और जेड श्रेणी के शहरों में एचआरए मूल वेतन का 24, 16 और 08 फीसदी होगा। इसके अलावा महंगाई भत्ता के 50 फीसदी से अधिक होने पर एचआरए 27, 18 और 9 फीसदी होगा।

महंगाई भत्ता 100 फीसदी से अधिक होने पर एचआरए 30, 20 और 10 फीसदी होगा। इस तरह सरकारी आवास में रहने वालों को इसी हिसाब से एचआरए के रूप में वेतन से कटौती की जाएगी, जबकि सरकारी आवास न मिलने की स्थिति में कर्मचारी के ज्यादा एचआरए का लाभ मिलेगा।

प्रदर्शन के अनुसार वेतन
आयोग ने केंद्र के सभी कर्मचारिओं के लिए परफॉर्मेंस रिलेटेड पे (पीआरपी) यानी प्रदर्शन के अनुसार वेतन की शुरुआत करने का सुझाव दिया है। इसके अलावा इसने मौजूदा बोनस योजना को भी किसी नियम के अधीन करने का सुझाव दिया है।

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