7वां वेतन आयोग: पहली बार कैबिनेट सचिव से कम हुई राष्ट्रपति की बेसिक सैलरी

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7वां वेतन आयोग: पहली बार कैबिनेट सचिव से कम हुई राष्ट्रपति की बेसिक सैलरी

सातवें वेतन की सिफारिशों के अनुसार पहली बार देश के राष्ट्रपति का मूल वेतन कैबिनेट सचिव के वेतन से कम होगा।

नई दिल्ली। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें मंजूर होने के बाद 2.50 लाख रुपए के अधिकतम वेतन को लेकर कानूनी अड़चनें सामने आ गई हैं। कैबिनेट सेक्रेटरी और आर्मी चीफ जैसे उच्च पदस्थ अधिकारियों को मिलने वाली बेसिक सैलरी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेसिक वेतन से 1 लाख रुपए ज्यादा हो गई है।

नियम ये है कि किसी भी सरकारी अधिकारी का बेसिक वेतन राष्ट्रपति से अधिक नहीं हो सकता है। इस मामले में सिर्फ पीएसयू और ऑटोनोमस बॉडी के अधिकारियों को छूट मिली है। दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि राष्ट्रपति से ज्यादा बेसिक सैलरी कैबिनेट सचिव को मिलेगी।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों व सांसदों की बेसिक आय 2.50 लाख रुपए के इस अधिकतम वेतन से काफी कम है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति का वर्तमान वेतन 1.50 लाख रुपए है।

सरकार के पास इस भूल को सुधारने के दो रास्ते हैं। पहला, यह कि कैबिनेट सेक्रेटरी की सैलरी घटाकर राष्ट्रपति के बेसिक वेतन के बराबर कर दिया जाए। हालांकि, ऐसी संभावना कम है। दूसरा तरीका है कि राष्ट्रपति का बेसिक वेतन बढ़ाकर 2.50 लाख रुपए कर दिया जाए।

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सूत्रों के मुताबिक, कानूनी उलझनों से बचने के लिए सरकार जल्द ही नोटिफिकेशन जारी कर राष्ट्रपति का बेसिक वेतन बढ़ाएगी। ऐसे में केंद्रीय कर्मयों को नई सैलरी देने से पहले यह नोटिफिकेशन जारी हो सकता है।

राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है। नियमानुसार, किसी भी सरकारी कर्मचारी का बेसिक वेतन राष्ट्रपति से अधिक नहीं हो सकता है। कारण, कैबिनेट सेक्रेटरी, कैग और सेना प्रमुख सहित कई सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते हैं। ऐसे में अधिकारियों का वेतन नियोक्ता से अधिक नहीं हो सकता है।

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